कितने दूर कितने पास
ये धरती और वो आकाश
दूर होके भी
हैं ये हमेशा साथ साथ
मिलते हैं थोडी देर सही
उस क्षितिज के पार
कुछ पलों के लिए
ही बस हाथों मैं हाथ
एक दूसरे से मिलने की
बस एक वजह
ये धरती और वो आकाश
दूर होके भी
हैं ये हमेशा साथ साथ
मिलते हैं थोडी देर सही
उस क्षितिज के पार
कुछ पलों के लिए
ही बस हाथों मैं हाथ
कुछ देर बाद फिर हो जाते हैं जुदा
और ढूँढ़ते रहते हैंएक दूसरे से मिलने की
बस एक वजह
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