मुझे कोई पेहचानता नही
ना कोई पुच्छता है ये सवाल
कैसे हो भाई
क्यूँ हो इतने बेहाल
फुल मेहेकते हैं इधर भी
पर मेरे देस जैसी खुशबू नही
पंछी उडते हैं इधर भी
पर उनका आस्मान मेरे जैसा नही
सब कुछ होते हुए भी यहाँ
लगता है बिलकुल खाली
आस पास ना दोस्त, ना भाई
रास्ते एकदम खाली खाली
गलियां खाली, घर खाली
कमरे खाली, इन्सान खाली,
दिल परेशान और हैरान
गिनते हुए दिन
कब होगी घर वापसी
कब होगी घर वापसी
ना कोई पुच्छता है ये सवाल
कैसे हो भाई
क्यूँ हो इतने बेहाल
फुल मेहेकते हैं इधर भी
पर मेरे देस जैसी खुशबू नही
पंछी उडते हैं इधर भी
पर उनका आस्मान मेरे जैसा नही
सब कुछ होते हुए भी यहाँ
लगता है बिलकुल खाली
आस पास ना दोस्त, ना भाई
रास्ते एकदम खाली खाली
गलियां खाली, घर खाली
कमरे खाली, इन्सान खाली,
दिल परेशान और हैरान
गिनते हुए दिन
कब होगी घर वापसी
कब होगी घर वापसी
bahut jald hogi ghar wapsi!
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